Wednesday, July 15, 2009

ख्वाहिशें

ख्वाहिशें अपनी भी हैं फलक छूने कीमेरे मौला जो उड़ने को तू पर दे दे

2 comments:

  1. ये क्या, सारे तार जीतू भाई की पोस्ट से जुड़े हैं. माजरा समझ नहीं आया. पोस्ट के साथ साथ लिंक भी उठा लाये. मख्खी की जगह मख्खी..यह देख धन्य हुए. क्या टीपा है भाई, बधाई.

    अब ऐसे आदमी की पोस्ट उठा लाये हो जिसे सारा ब्लॉगजगत जानता है, भगवान भला करे.

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